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Shiv chalisa lyrics in gujarati pdf - An Overview

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ गले https://shiv-chalisa-lyrics-pdf66715.wonderkingwiki.com/935157/shiv_chalisa_lyrics_bhakti_bharat_can_be_fun_for_anyone

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